अहोई अष्टमी की कथा के अनुसार, एक समय की बात है। एक गरीब महिला थी, जिसका नाम अहोई था। उसकी कोई संतान नहीं थी। वह बहुत दुखी थी। एक दिन, उसने एक विधवा महिला से एक बच्चे को गोद लिया। वह बच्चे को बहुत प्यार करती थी। एक दिन, बच्चे को सर्पदंश हो गया और वह मर गया। अहोई बहुत दुखी हो गई। वह अपने बच्चे को खोने से बिलखती रही।
उसी समय, एक देवी ने उसे दर्शन दिए। देवी ने उसे बताया कि वह अहोई अष्टमी का व्रत रखे। इस व्रत के प्रभाव से उसे एक पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। अहोई ने देवी की आज्ञा का पालन किया। उसने अहोई अष्टमी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से उसे एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। वह बहुत खुश थी।
अहोई अष्टमी का व्रत संतान प्राप्ति, संतान की लंबी आयु और उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन माताएं अहोई माता की पूजा करती हैं। अहोई माता को संतान की देवी माना जाता है।
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